उदयपुर। मेवाड़ राजपरिवार के प्रकाशन का अंतर्राष्ट्रीय विमोचन अभी हाल ही बाली इंडोनेशिया में हुआ। मेवाड़ राजपरिवार के सदस्य और संत तुल्य दिव्यपुरुष शत्रु दमन सिंह शिवरती द्वारा हस्तलिखित पुस्तक “साधक सोपान” (श्रीमद् भगवद् गीता की टीका) का अंतर्राष्ट्रीय मंच पर विमोचन किया गया। जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक शत्रु दमन सिंह शिवरती ने अपने पूर्वजों, संत शिरोमणि मीरा बाई और लोकसन्त बावजी चतुर सिंह जी की आध्यात्मिक यात्रा से प्रेरित होकर 20 वर्षों के श्रमसाध्य से तैयार की थी। इस पुस्तक का विमोचन बाली, इंडोनेशिया के पौराणिक स्थल पर सुग्रीवा हिन्दू विश्वविद्यालय और अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के कुलपतियों, काउंसिल जनरल ऑफ इंडिया के प्रतिनिधि, इंडोनेशिया के गणमान्य व्यक्तियों और वेद-उपनिषद-भगवद् गीता व संस्कृत के ज्ञाता आचार्यजनों की उपस्थिति में हुआ।
अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में मेवाड़ का प्रतिनिधित्व:
यह विमोचन बाली में आयोजित “समकालीन चुनौतियों का समाधान करने में वैदिक धर्म और भारतीय ज्ञान की प्रासंगिकता” विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के अवसर पर हुआ। मेवाड़ राजपरिवार, शिवरती घराने से एकमात्र प्रतिनिधित्व करते हुए, प्रोफेसर अजात शत्रु सिंह शिवरती ने अपने उद्बोधन में मेवाड़ और बाली जैसी सभ्यताओं के बीच प्राचीन सांस्कृतिक और वैचारिक आदान-प्रदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वैदिक ज्ञान, योग और सनातन धर्म की विचारधारा ने न केवल भारत में बल्कि दक्षिण-पूर्व एशिया तक भी गहरा प्रभाव डाला है।
सांस्कृतिक प्रभाव और उपस्थिति:
प्रोफेसर अजात शत्रु सिंह शिवरती ने आगे कहा कि बाली की प्राचीन परंपराएँ, जिनमें हिन्दू धर्म, अध्यात्म और सामूहिक जीवन के मूल्य दिखाई देते हैं, वे भारत की सनातन धर्म संस्कृति से गहराई से जुड़ी हैं। यह समानता दर्शाती है कि भारत का सांस्कृतिक प्रभाव इंडोनेशिया जैसे द्वीपीय राष्ट्रों तक भी अपने वैचारिक और दार्शनिक मूल्यों का प्रकाश फैलाता रहा है। इस अवसर पर इंडोनेशिया और भारत के कई संस्कृत शिक्षाविद, शोधार्थी और पत्रकार उपस्थित थे।






