उदयपुर। भारत में नवीकरणीय ऊर्जा और बैटरी तकनीक में जिंक की मांग में तेजी से वृद्धि होने की उम्मीद है। देश में तेजी से शहरीकरण और मध्यम वर्ग की वृद्धि के चलते स्टील, इन्फ्रास्ट्रक्चर और ऑटोमोटिव, सौर ऊर्जा में जिंक की मांग बढ़ने की भारी संभावना जताई गई है, जबकि पवन ऊर्जा में भी वृद्धि होने की संभावना है। इसके अलावा, ऊर्जा भंडारण के क्षेत्र में अगले पांच वर्षों में जिंक की मांग में सात गुना वृद्धि होने का अनुमान लगाया है।
आयोजित कार्यक्रम में अरुण मिश्रा, अध्यक्ष, इंटरनेशनल जिंक एसोसिएशन और हिंदुस्तान जिंक के सीईओ ने कहा, “हम एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं जहाँ जिंक कार्बन उत्सर्जन को कम करने, नवीकरणीय ऊर्जा इंफ्रास्ट्रक्चर का समर्थन करने और भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्थिरता सुनिश्चित करने में निर्णायक भूमिका निभाएगा। उदयपुर में आयोजित जिंक कॉलेज नामक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम ने जिंक की विभिन्न उद्योगों में महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। इस कार्यक्रम में 20 से अधिक देशों के लगभग 100 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
उलेखनीय हैं कि इंटरनेशनल जिंक एसोसिएशन (IZA) ने 2030 तक भारत में जिंक की मांग में महत्वपूर्ण वृद्धि की भविष्यवाणी की है।
भारत जिंक कॉलेज 2024 की मेजबानी कर रहा है, जो इंटरनेशनल जिंक एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन है और हिंदुस्तान जिंक द्वारा आयोजित किया जा रहा है, जो भारत का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा एकीकृत जिंक उत्पादक है।
उदयपुर में आयोजित इस विशेष 5- दिवसीय कार्यक्रम में 20 से अधिक देशों से लगभग 100 प्रतिनिधि भाग ले रहे है, जिसमें वैश्विक नेता और नवप्रवर्तनकर्ता जिंक की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा कर रहे हैं जो एक सतत, निम्न-कार्बन भविष्य को बनाने और दुनिया भर में जिंक उद्योग के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देने में सहायक है।
भारत की रिकॉर्ड-तोड़ स्टील उत्पादन और तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के साथ, जिंक के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है। इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में जिंक का समावेश वार्षिक संक्षारण लागत को महत्वपूर्ण रूप से कम कर सकता है, जो भारत के जीडीपी का लगभग 5% है। ऑटोमोटिव उद्योग, जो एक और प्रमुख क्षेत्र है, वैश्विक प्रवृत्तियों का अनुसरण कर रहा है, और 2030 तक जिंक-लेपित स्टील की मांग में वृद्धि की भविष्यवाणी की गई है, जो मध्यम वर्ग की आकांक्षाओं द्वारा प्रेरित है।
जिंक कॉलेज में एक महत्वपूर्ण चर्चा का ध्यान कार्बन उत्सर्जन को कम करने और निम्न-कार्बन ‘हरा’ जिंक उत्पादों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है, जिसमें IZA के सदस्य हिंदुस्तान जिंक, बोलिडेन, टेक और नायरस्टार अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। कार्यक्रम जिंक-आधारित बैटरियों की ऊर्जा भंडारण समाधान में भूमिका को भी मजबूत करता है, जो लिथियम-आधारित बैटरियों के मुकाबले मजबूत विकल्प हैं। ऊर्जा भंडारण में जिंक की मांग अगले पांच वर्षों में सात गुना बढ़ने की उम्मीद है।







