उदयपुर। आदिनाथ भवन सेक्टर 11 में चातुर्मास के दौरान गुरूदेव मुनि प्रशमसागर ने कहा कि ज्ञान प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती। समिति के अध्यक्ष अशोक शाह ने बताया कि चातुर्मास में धर्म उदयपुर एवं इसके आस-पास के क्षेत्रों से श्रावक- श्राविकाएं रोजाना आदिनाथ भवन सेक्टर 11 पहुंच रहे हैं। बुधवार को भी मेवाड़- वागड़ के साथ ही देश के विभिन्न क्षेत्रों से कई श्रावक- श्राविकाएं आदिनाथ भवन पहुंचे एवं मुनिश्री के प्रवचनों के साथ ही उनका आशीर्वाद लिया।
आदिनाथ दिगम्बर जैन चेरिटेबल ट्रस्ट अध्यक्ष पारस चित्तौड़ा ने बताया कि धर्म सभा में मंगलाचरण के पश्चात आचार्य श्री शांति सागर जी के चित्र का अनावरण, दीप प्रवज्जलन, शास्त्र भेंट एवं मुनिश्री का पाद प्रक्षालन जैसे मांगलिक आयोजन सम्पन्न हुए। प्रात:काल मुनिश्री के सानिध्य में श्रीजी की शांति धारा एवं अभिषेक हुआ। दोपहर में शास्त्र चर्चा एवं सायंकाल आरती हुई।
इस अवसर पर आयोजित प्रात: कालीन धर्म सभा में मुनिश्री प्रशमसागरजी महाराज ने कहा कि ज्ञान प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती। अक्सर लोग यह कहते सुने जाते हैं कि अब तो हम बूढ़े हो गए हैं अब ज्ञान प्राप्त कैसे करें और अब इस ज्ञान का कोई उचित भी नहीं है। लेकिन ऐसा सोचने वाले और ऐसी सोच गलत है। बुढ़ा तो मनुष्य का शरीर होता है आत्मा कभी बुढी नहीं होती है। अपनी आत्मा में जितना भी ज्ञान का भंडार भरो वह काम होता है। अगर हमें हमारे मनुष्य जीवन का कल्याण करना है और हमें आत्मा को सिद्ध करना है तो यह बिना ज्ञान के संभव नहीं है। हमें हमारे आत्म कल्याण के लिए सद्गुरु के सानिध्य में रहकर ज्ञान प्राप्त करना होगा तभी हमारा और हमारे जीवन का उत्थान हो पाएगा।सूर्य पूरी दुनिया को प्रकाश देता है लेकिन ज्ञान का सूर्य आपके जीवन को प्रकाशमान करता है। जिसके जीवन में ज्ञान नहीं होता है उसका जीवन ही शून्य होता है। जहां अहिंसा है वहां ज्ञान है और जहां ईष्र्या है वहां आज्ञान है। ज्ञान से ही हमारे जीवन के सारे कर्म और कार्य संपूर्ण होते हैं। अगर हमारे जीवन में ज्ञान होगा तो ही हम हमारे जीवन और हमारी आत्मा का कल्याण कर पाएंगे।
मुनिश्री ने कहा कि बिना ज्ञान के की गई क्रियाएं सारी निष्फल होती है बिना ज्ञान के मनुष्य का जीवन पशु के समान होता है ध्यान से ही मनुष्य अच्छे और बुरे में फर्क समझा पता है ज्ञान के कई प्रकार होते हैं। जिसमें धर्म ज्ञान होता है आत्मा का ज्ञान होता है वही अपने जीवन का कल्याण कर पाता है। इसलिए जीवन में हमेशा ज्ञान रूपी दीपक जलाए रखना है। हमारे जीवन में अगर ज्ञान होगा तो ही हम हमारे जीवन को प्रकाशमान कर पाएंगे।







