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युद्ध और हथियारों की होड़ का मानवाधिकारों पर घातक असर

👉 मानवाधिकार दिवस पर हुई संगोष्ठी
👤 Mewar Express News
December 11, 2024

डी.एस.पालीवाल

उद‌यपुर। अमेरिकी महाशक्ति की अर्थव्यवस्था युद्ध और हथियारों की होड़ पर निर्भर है तथा संयुक्त राष्ट्रसंघ साम्राज्यवादियों की कठपुतली बन गया है। ये विचार विश्व मानवाधिकार दिवस पर आयोजित पी.यू. सी. एल, जास तथा आम नागरिक व जनसंगठनों के साझा मंच की संयुक्त बैठक में उभरे।

आम बैठक में मध्यपूर्व के फिलीस्तीन, लेबनान तथा युद्धरत देशों में मरने वाले आम नागरिक, महिलाओं और बच्चों के मानाधिकार का सवाल उठाया और सभी देशों में उभरते फासीवाद के खतरे की तरफ आगाह किया।

सभा में रमेश नंद‌वाना ने कहा कि जन विरोधी राजनीति ने इंसान-इंसान में भेद पैदा कर दिये है और घर परिवार तथा समाज में भी मानवाधिकार का हनन जारी है। उन्होंने जननोत्रिक मुल्यों के साथ ही वैज्ञानिक सोच की आवश्यकता बताई।

पी-यू.सी.एल के एडवोकेट अरुण व्यास ने मानवाधिकार दिवस का इतिहास बताया तथा बढ़ती हुई हिंसक संस्कृति के बारे में चिन्ता व्यक्त की और कहा कि सामन्ती व्यवस्था में संवाद‌विहिनता पैदा हो गई है। व्यास ने कहा कि फिलीस्तीन में नरसंहार हो रहा है और संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद का व्यवहार नकारात्मक साबित हो रहा है।

जनतांत्रिक अधिकार सुरक्षा संगठन के समीर बनर्जी ने सभी देशों के शासकों की तानाशाही के बारे में बोलते हुए मजदूर, किसान एवं महिलाओं व बच्चों के जनतांत्रिक अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता बताई।

एडवोकेट रूपाली जैन ने कहा कि जन्म से ही मानवाधिकारों का सवाल पैदा हो जाता है। उन्होंने विश्व परिस्थितियों पर चर्चा करते हुए विश्व में तीसरे विश्वयुद्ध के खतरे की तरफ इशारा किया।

वरीष्ठ पत्रकार हिम्मत सेठ ने बांग्लादेश के संकट पर बोलते हुए लोकतंत्र की दुहाई देने वाले अमेरिका में भी अब तक काले-गोरे के भेद के बारे में बताया और कहा कि अमेरिका की युद्ध अर्थव्यवस्था है तथा वो सम्पूर्ण पृथ्वी पर अपनी हुकुमत कायम करने के लिए षड्‌यंत्र करता रहा है।

सभा जनवादी मजदूर यूनियन के जयंती लाल मीणा ने राजतिलक और महाराणा की पद‌वियों को संविधान विरोधी बताया। मीणा ने स्कूलों में अध्यापकों के खाली पदो को बालकों के अधिकार पर हमला बताया तथा राजस्थान में एक लाख कुक कम हेल्परो की अति अल्प तनख्वाह और मजदूरों के बारह-बारह घंटे काम को भी अमानवीय बताया।

भ्रष्टाचार मुक्त भारत के हरीश सुहालका ने डेढ़ लाख वित्तीय सोसायटियों के जमाकर्ताओं के हक का उदाहरण दिया। कामरेड महेश शर्मा ने पूंजीवादी तंत्र को मानव विरोधी बताया और कहा कि सबको समान अवसर की लडाई तेज करनी पड़ेगी ।

साझा मंच के मन्नाराम डांगी ने विश्व की 8 अरब जनता पर मंडराते पर्यावरण खतरे के प्रति आगाह किया और कहा कि सम्पूर्ण तंत्र दोगला व्यवहार कर रहा है। उन्होंने 5 देशों के विटो पावर को समाप्त करने की मांग की तथा पूरी वैश्विक व्यवस्था को गांव से लेकर विश्वस्तर तक पुर्नसंगठित कर जनपक्षीय व जनतांत्रिक बनाने का लक्ष्य लेकर चलना पडेगा।

भाकपा (माले) के शंकरलाल चौधरी ने वैश्विक संकट पर विस्तार से चर्चा करते हुए देश में फैल रही साम्प्रदायिक‌ता और फासीवादी हमलों की चुनौतियों पर बोलते हुए उत्पिडितों के पक्ष में खड़े होकर सडक से संसद तक लडाई लड़‌ने की आवश्यकता बताई।

आम बैठक में एड‌वोकेट श्रेष्ठ वीर सिंह, बाईकर अवानी अरोडा ने भी विचार रखे। सभा का संचालन मन्नाराम डांगी ने किया।

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