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साहित्य की शाम: आलम शाह खान की जयंती और “एक और मौत’ का मंचन”

👉 तकनीक ने इंसान को आलसी बना दिया: व्यास
👤 Mewar Express News
May 18, 2025

डी. एस. पालीवाल
उदयपुर। प्रो. ख़ान एक विचारक, दूरदर्शी व मनुष्य प्रेमी के रूप में अपनी कहानियों में अवतरित होते हैं। ख़ान की कहानियों में मानव पीड़ा तथा पात्रों की जद्दोजहद दिखाई देती है।” ये विचार आलम शाह ख़ान यादगार समिति द्वारा प्रोफेसर ख़ान की 22वीं बरसी पर आयोजित ‘आलम शाह ख़ान की कहानियों में मानव पीड़ा’ विषयक सेमिनार में मुख्य अतिथि उर्दू की जानी-मानी कहानीकार एवं उपन्यासकार प्रो सरवत ख़ान ने व्यक्त किये।
अंग्रेजी के साहित्यकार व विशिष्ट अतिथि डा. राजकुमार व्यास ने कहा कि तकनीक ने इंसान को आलसी बना दिया है और वह भाषा से दूर होता जा रहा है तथा भाषा का सवाल ही लेखन के संदर्भ में सबसे अधिक महत्वपूर्ण व संवेदनशील है। वर्तमान पीढ़ी को अपने शहर की धरोहर डॉ आलम शाह ख़ान की कहानियों को पढ़ना चाहिए।

संगोष्ठी का विषय पवर्तन करते हुए आलम शाह ख़ान यादगार समिति की सचिव डॉ तराना परवीन ने बताया कि डॉ आलम शाह ख़ान की कहानियां हशिए पर पड़े समाज के बेज़ुबान मनुष्यों की पीड़ा की पुकार है। उन्होंने लिखा कि आम आदमी पीड़ा के पिरामिड के नीचे दबा कुचला रहता है यदि वह अपने इस उत्पीड़न को स्वीकार ना करें तो वह अपनी स्थिति बदल सकता है। वे मानवता और संवेदनशीलता से लिखते थे। इसी प्रकार के समर्पण से वर्तमान साहित्यकारों को लिखने का प्रयास करना जरूरी है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए लोक कला मंडल के निदेशक व प्रसिद्ध नाटककार डॉ लईक हुसैन ने आलम शाह खान की कहानियों की चर्चा करते हुए कहा कि जब भी अपनी कहानी पढ़ते थे तब श्रोता के मन मस्तक में उनकी कहानियों के दृश्य बनते जाते थे और पात्र जीवित हो जाते थे। उन्होंने कहा कि कलाकार जब अपनी क्रिएशन करता है तो खुद को गौण करता है तभी वह पात्र की पीड़ा को आत्मसात करते हुए कलम चला सकता है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ ममता पानेरी ने किया, सभी का स्वागत आलम शाह खान यादगार समिति के अध्यक्ष आबिद अदीब ने किया।
सेमिनार में डॉ. परितोष दुग्गड़ ने ख़ान की कहानियों को विश्व स्तरीय बताया, शकील खान, तबस्सुम ने भी विचार विमर्श में भाग लिया तथा ख़ान साहब की बड़ी पुत्री तबस्सुम ने सबको धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के दरमियान प्रोआलम शाह ख़ान की कहानी ‘एक और मौत’ का मौलिक नाट्य संस्था द्वारा मंचन किया गया जिसमें कुल्फी वाले की भूमिका संदीप सेन, पत्नी की भूमिका पायल मेनारिया ने अदा की। नाटक का निर्देशन जतिन और शिवराज सोनवाल ने किया।

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